भद्र संज्ञक खञ्जन – स्थूल शरीर वाला, उन्नत तथा काले गले वाला खञ्जन पक्षी
भद्र संज्ञक कहलाता है। इसका दर्शन शुभ माना जाता है।
सम्पूर्ण संज्ञक खञ्जन – जिसका मुख से लेकर कण्ठ तक पूरा भाग काला हो, वह
खञ्जन पक्षी सम्पूर्ण संज्ञक कहलाता है। यह सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है।
रिक्त संज्ञक खञ्जन – जिसके गले में काली बिन्दी तथा श्वेत कपोल हों,
वह रिक्त संज्ञक खञ्जन सब फल शून्य कर देता है।
गोपीत संज्ञक खञ्जन – पीले वर्ण का खञ्जन गोपीत संज्ञक है। इसका दर्शन
क्लेशकारक होता है।
2. स्थान के वश खञ्जन दर्शन का फल
शुभ स्थान – शुभ फल
मधुर तथा सुगन्ध युक्त फल और फूलों से युक्त वृक्ष पर
पवित्र जलाशय में
हाथी, घोड़े या सर्पों के मस्तक पर
देवालय, फूलवारी या कोठे पर
गाय, गोठ, सज्जनों के समागम स्थान पर
यज्ञ, विवाह आदि उत्सव स्थानों पर
राजा या ब्राह्मणों के समीप
रथ, घोड़ा, छत्र, ध्वजा, चामर आदि पर
सुवर्ण के समीप
कमल, नीलकमल, पूजित तथा लिए हुए स्थान पर
दही के पात्र या धान्य के ढेर पर
इन स्थानों पर खञ्जन पक्षी दिखाई दे तो देखने वाले का शुभ होता है।
3. विशेष स्थानों पर खञ्जन दर्शन का फल
कीचड़ में बैठा हुआ दिखाई दे – स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति।
गोबर पर दिखाई दे – दूध, दही, घृत की प्राप्ति।
दूब पर दिखाई दे – वस्त्र लाभ।
छाग या भेड़ के ऊपर दिखाई दे – शीघ्र मित्र समागम।
नदी में पानी पीता हुआ दिखाई दे – शुभ फल।
4. अशुभ स्थान एवं अशुभ फल
गाड़ी पर दिखाई दे – देश का नाश।
घर की छत पर दिखाई दे – धन का नाश।
चमड़े की बनी हुई छेद वाली वस्तु पर दिखाई दे – बन्धन।
पवित्र स्थान पर दिखाई दे – रोग।
भैंस, ऊँट, गदहा, श्मशान, घर का कोना, मिट्टी का ढेला, अटारी,
घेरे की दीवार, भस्म और केश पर दिखाई दे – मृत्यु एवं रोगभय के रूप में
अशुभ फल।
दोनों पंखों को हिलाता हुआ खञ्जन दिखाई दे – अशुभ।
सूर्योदयन (सूर्योदय) काल में दिखाई दे – शुभ।
सूर्यास्त (अस्त) काल में दिखाई दे – अशुभ फल।
5. राजा और विशेष परिस्थितियाँ
नीराजन करने के बाद राजा जिस दिशा में जाते हुए खञ्जन को देखे,
उस दिशा में गमन करने से शत्रु शीघ्र वश में हो जाता है।
जिस स्थान पर खञ्जन मैथुन करता है उस के नीचे निधि (खजाना),
जहाँ पर वमन करता है उस के नीचे काँच, और जहाँ पर विष्टा करता है
उसके नीचे कोयला होता है। इस कौतुक को हटाने के लिए वहाँ की पृथ्वी खोदनी चाहिए।
यदि मरा हुआ खञ्जन दिखाई दे तो देखने वाले की मृत्यु,
विकल दिखाई दे तो देखने वाले को विघ्न, और रुग्ण दिखाई दे तो
देखने वाले को रोग होता है।
यदि सम्मुख में होकर घर में प्रवेश करता हुआ दिखाई दे तो धनवृद्धि,
और आकाश में उड़ता हुआ दिखाई दे तो बन्धु समागम होता है।
राजा शुभ प्रदेश में शुभ लक्षण युक्त खञ्जन पक्षी को देखकर
सुगन्ध युक्त पुष्प और धूप युक्त अर्घ्य दे, तो सम्मानित
शुभ फल की वृद्धि होती है।
अशुभ फल देने वाले खञ्जन को भी देखकर यदि राजा ब्राह्मण, गुरु,
सज्जन और देवताओं के पूजन में निरत हो जाए तथा सात दिन तक
मांस भोजन न करे, तो अशुभ फल नहीं पाता।
6. दर्शन फल का समय एवं निर्णय
खञ्जन के प्रथम दर्शन का फल एक वर्ष के भीतर होता है।
उसके बाद प्रतिदिन के दर्शन का फल उसी दिन होता है।
दिशा, स्थान, शरीराकृति, लग्न, नक्षत्र, शान्त या दीप्त रूप आदि
के अनुसार शुभ–अशुभ का विचार कर अपनी बुद्धि से फल कहना चाहिए।